Shivashtakam | शिवाष्टकम महादेव शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक महामंत्र है. इस पोस्ट में आप लोगों को Shivashtakam Hindi | Shivashtakam English | Shivashtakam pdf Download मिलेगी.
आज मैं शिवाष्टकम स्तोत्रम् के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दूंगा. शिवाष्टकम स्तोत्र का पाठ किस तरह से करना है. इस स्तोत्र से क्या क्या लाभ होता है. आदि.

महादेव शिव भोलेनाथ के लिए बहुत सारे शिवाष्टकम की रचना की गयी है. आज मैं आप लोगों को दो शिवाष्टकम इस पोस्ट में बताऊंगा. इनमे से एक जो शिवाष्टकम बहुत प्रचलित है. और दूसरा जिसे आदि शंकराचार्य ने रचा था.
तो चलिए शुरू करते हैं. पहले आप लोगों को आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिवाष्टकम स्तोत्रम् बताता हूँ.
Shivashtakam
शिवाष्टकम स्तोत्र

तस्मै नम: परमकारणकारणाय ,
दिप्तोज्ज्वलज्ज्वलित पिङ्गललोचनाय ।
नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय ,
ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नम: शिवाय ॥ 1 ॥
श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय ,
शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय ।
कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय ,
लोकत्रयार्तिहरणाय नम: शिवाय ॥ 2 ॥
पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय ,
कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय ।
भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय ,
नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ॥ 3 ॥
लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय ,
दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय ।
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय ,
त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥ 4 ॥
दक्षप्रजापतिमहाखनाशनाय ,
क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय ।
ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगक्रोटिनिकृंतनाय ,
योगाय योगनमिताय नम: शिवाय ॥ 5 ॥
संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय ,
रक्ष: पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय ।
सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय ,
शार्दूलचर्मवसनाय नम: शिवाय ॥ 6 ॥
भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय ,
सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय ।
गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय ,
गोक्षीरधारधवलाय नम: शिवाय ॥ 7 ॥
आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय ,
यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय ।
ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय ,
गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय ॥ 8 ॥
शिवाष्टकम पुण्यं यः
पठेच्छिवसन्निधौ |
शिवलोकमवाप्नोति
शिवेन सह मोदते ||9||
॥इति श्रीशिवाष्टकं सम्पूर्णम्॥
Shivashtakam Hindi Meaning
शिव कारणों के भी परम कारण हैं, ( अग्निशिखा के समान) अति दिप्यमान उज्ज्वल एवं पिङ्गल नेत्रोंवाले हैं, सर्पों के हार-कुण्डल आदि से भूषित हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्रादि को भी वर देने वालें हैं – उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ। (1)
जो निर्मल चन्द्र कला तथा सर्पों द्वारा ही भुषित एवं शोभायमान हैं, गिरिराजग्गुमारी अपने मुख से जिनके लोचनों का चुम्बन करती हैं, कैलास एवं महेन्द्रगिरि जिनके निवासस्थान हैं तथा जो त्रिलोकी के दु:ख को दूर करनेवाले हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ। (2)
जो स्वच्छ पद्मरागमणि के कुण्डलों से किरणों की वर्षा करने वाले हैं, अगरू तथा चन्दन से चर्चित तथा भस्म, प्रफुल्लित कमल और जूही से सुशोभित हैं ऐसे नीलकमलसदृश कण्ठवाले शिव को नमस्कार है ।(3)
शिव जो लटकती हुई पिङ्गवर्ण जटाओंके सहित मुकुट धारण करने से जो उत्कट जान पड़ते हैं तीक्ष्ण दाढ़ों के कारण जो अति विकट और भयानक प्रतीत होते हैं, साथ ही व्याघ्रचर्म धारण किए हुए हैं तथा अति मनोहर हैं, तथा तीनों लोकों के अधिश्वर भी जिनके चरणों में झुकते हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।(4)

जो दक्षप्रजापति के महायज्ञ को ध्वंस करने वाले हैं, जिन्होने परंविकट त्रिपुरासुर का तत्कल अन्त कर दिया था तथा जिन्होंने दर्पयुक्त ब्रह्मा के ऊर्ध्वमुख (पञ्च्म शिर) को काट दिया था, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।(5)
शिव जो संसार मे घटित होने वाले सम्सत घटनाओं में परिवर्तन करने में सक्षम हैं, जो राक्षस, पिशाच से ले कर सिद्धगणों द्वरा घिरे रहते हैं (जिनके बुरे एवं अच्छे सभि अनुयायी हैं); सिद्ध, सर्प, ग्रह-गण एवं इन्द्रादिसे सेवित हैं तथा जो बाघम्बर धारण किये हुए हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।(6)
जिन्होंने भस्म लेप द्वरा सृंगार किया हुआ है, जो अति शांत एवं सुन्दर वन का आश्रय करने वालों (ऋषि, भक्तगण) के आश्रित (वश में) हैं, जिनका श्री पार्वतीजी कटाक्ष नेत्रों द्वरा निरिक्षण करती हैं, तथा जिनका गोदुग्ध की धारा के समान श्वेत वर्ण है, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।(7)
जो सूर्य, चन्द्र, वरूण और पवन द्वार सेवित हैं, यज्ञ एवं अग्निहोत्र धूममें जिनका निवास है, ऋक-सामादि, वेद तथा मुनिजन जिनकी स्तुति करते हैं, उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करने वाले शिव जी को नमस्कार करता हूँ।(8)
जो इस पवित्र शिवाष्टक को श्री महादेव जी के समीप पढता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और शंकरजी के साथ आनंद प्राप्त करता है| (9)
शिवाष्टकम
निचे दीया गया शिवाष्टकम काफी प्रचलित है. आप दोनों में से किसी भी शिवाष्टकम का पाठ कर सकतें हैं. दोनों ही शिवाष्टकम का पराभव समान है. शिव की आराधना के लिए मन में शिव होना चाहिए.

॥अथ श्री शिवाष्टकम्॥
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं,
जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥१॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं,
महाकाल कालं गणेशादि पालम्।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥२॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं
महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम्।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥३॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं
महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम्।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥४॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं
गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम्।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥५॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं
पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम्।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥६॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं
त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम्।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥७॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं
भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं,
शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे॥८॥
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे
पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम्।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं
विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति॥
॥इति श्रीशिवाष्टकं सम्पूर्णम्॥
How to chant Shivashtakam Stotra?
शिवाष्टकम का पाठ कैसे करें?

- शिवाष्टकम | Shivashtakam के पाठ के लिए सोमवार का दिन अति उत्तम होता है.
- सावन मास शिवाष्टकम के पाठ के लिए अति उत्तम होता है.
- वैसे आप किसी भी दिन और किसी भी महीने में शिवाष्टकम का पाठ कर सकतें हैं.
- शिवाष्टकम के पाठ के लिए प्रातःकाल और संध्या काल का समय उत्तम होता है.
- स्नान आदि करके पहले खुद को पवित्र कर लें.
- फिर उसके पश्चात किसी आसन पर बैठकर महादेव शिव का ध्यान लगायें.
- अगर आप किसी शिव की मूर्ती के समीप बैठ कर शिवाष्टकम स्तोत्र का पाठ करतें हैं. तो यह ज्यादा उत्तम है.
- पाठ करते समय अपना ध्यान सिर्फ महादेव शिव पर ही लगाए रखें.
- मन को भटकने नहीं दे.
- शिव पर अगाध श्रद्धा रखें.
- शिव लिंग पर गंगा जल, बिल्वपत्र आदि चढ़ाएं.
शिवाष्टकम के पाठ से लाभ
- शिवाष्टकम | Shivashtakam के पाठ से मनुष्य को महादेव की कृपा प्राप्ति होती है.
- महादेव की कृपा से मनुष्य को समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
- इस मन्त्र का जाप करने वाला महादेव का अत्यंत प्रिय होता है.
- जो भी मनुष्य इस शिवाष्टकम स्तोत्र का सच्चे मन से जाप करता है. उसे मृत्यु उपरान्त महादेव शिव का सानिध्य प्राप्त होता है. वह शिव लोक में वास करता है.
- महादेव शिव अपने भक्तों की समस्त मनोकामना पूर्ण करतें हैं.
- समस्त रोगों से मुक्ति महादेव शिव की कृपा से मिलती है.
Shivashtakam PDF download
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भगवान शिव भोलेनाथ आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें.
जय भोले नाथ. ॐ नमः शिवाय.
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भगवान शंकर की आरती / Shankar Bhagwan ki aarti
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