Rudrashtakam Lyrics in Hindi and English : रुद्राष्टकम महादेव शिव का एक महामंत्र है. इसके जाप से मनुष्य को महादेव शिव की परम कृपा प्राप्त होती है.
जो भी व्यक्ति महादेव शिव के इस Rudrashtakam | रुद्राष्टकम का सच्चे ह्रदय से पाठ करता है. उसके समस्त कष्टों को महादेव विनाश कर देते हैं. साथ ही उसे महादेव का सानिध्य प्राप्त होता है. मृत्यु उपरान्त उसे शिव लोक में महादेव शिव के लोक में वास मिलता है.
सावन के महीने में शिव आराधना का अपना महत्व है. इस महीने को महादेव शिव का महिना माना जाता है. सावन महादेव को अति प्रिय है. सावन के महीने में महादेव शिव को गंगाजल आदि से अभिषेक करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. महादेव शिव उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण करतें हैं.
Lyrics of Rudrashtakam in Hindi
रुद्राष्टकम स्तोत्र
ॐ नमः शिवाय
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं
विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां
तेषां शंभो प्रसीदति।।
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Rudrashtakam Lyrics English
Namaamisham-ishaan nirvan-rupam
Vibhum vyapkam Brahma-veda swarupam
Nijam nirgunam nirvikalpam niriiham
Chidakasham-aakaasha vasam bhaje hum
Nirakaar omkara moolam turiiyam
Gira jnyana gotiitam isham giriisham
Karaalam mahaakaal kaalam krpaalam
Gunaagaar samsaar paaram nato hum
Tussharaadri samkaasha gauram gabhiram
Mano bhut koti prabha shri shariram
Sphuran mauli kallolini charu-ganga
Lasad bhaala baalendu kanthe bhujangaa
Chalat kundalam bhru sunetram vishaalam
Prasanna nanam niil-kantham dayaalam
Mrgadhish charma ambaram munda maalam
Priyam shankaram sarva naatham bhajaami
Prachandam prakrshtam pragalbham paresham
Akhanndam ajam bhaanu koti prakaasham
Tryah shool nirmulanam shool paanim
Bhajeham bhavaani-patim bhaav-gamyam
Kalaatita kalyana kalpa-anta-kaari
Sada sajjana-ananda-daataa puraari
Chid-aananda-samdoha moha-pahari
Prasida prasida prabho manmatha-ari
Na yaavad umaa-naatha-paada-aravindam
Bhajanti-iha loke pare va naraanaam
Na taavat-sukham shaanti santaapa-naasham
Prasida prabho sarva-bhuuta-adhi-vaasam
Na jaanaami yogam japam naiva pujaam
Natoham sadaa sarvadaa shambhu-tubhyam
Jaraa-janma-duhkhau-gha taatapya-maanam
Prabho paahi aapanna-maam-isha shambho
Meaning of Rudrashtakam
रुद्राष्टकम का हिंदी अर्थ
हे मोक्षस्वरुप विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशाके ईश्वर तथा सबके स्वामी श्री शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
निजस्वरुप में स्थित (अर्थात मायादिरहित), गुणों से रहित, भेद रहित, इच्छा रहित चेतन आकाशरूप एवं आकाश को ही वस्त्र रूप में धारण करने वाले दीगम्बर (अथवा आकाश को भी आच्छादित करने वाले), आपको में भजता हूँ | (1)
निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत), वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से पर, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के काल कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ | (2)
जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिरपर सुन्दर नदी गंगा जी विराजमान हैं, जिनके ललाटपर द्वितीय का चन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित हैं | (3)
जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, सुन्दर भ्रुकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्नमुख, नीलकंठ और दयालु हैं, सिंहचर्म का वस्त्र धारण किये और मुण्डमाला पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ (कल्याण करने वाले) श्री शंकर जी को मैं भजता हूँ |(4)
रुद्राष्टकम हिंदी अर्थ
प्रचंड (रुद्ररूप) श्रेष्ठ, तेजस्वी, परमेश्वर, अखंड, अजन्मा, करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों (दुखों) को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए, भाव (प्रेम) के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकर जी को मैं भजता हूँ | (5)
कलाओं से परे, कल्याण स्वरुप, कल्पका अंत (प्रलय) करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोहको हराने वाले, मनको मथ डालने वाले, कामदेव के शत्रु, हे प्रभु, प्रसन्न होइये| (6)
जबतक पार्वती के पति आपके चरणकमलों को मनुष्य नहीं भजते, तबतक उन्हें न तो इसलोक ओर परलोक में सुख-शान्ति मिलती है और न उनके तापों का नाश होता है। अत: हे समस्त जीवों के अन्दर (हृदय में) निवास करनेवाले प्रभो, प्रसन्न होइये| (7)
मैं न तो योग जानता हूँ, न जप और पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ। हे प्रभु, बुढापा तथा जन्म (मृत्यु) के दुःख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुःख में रक्षा कीजिये। हे ईश्वर, हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूँ| (8)
रुद्राष्टकम का पाठ कैसे करें?
जैसा की मैंने उपर बताया की रुद्राष्टकम महादेव शिव का एक महा मंत्र है. इस मन्त्र का जाप सच्चे मन से किया जाना चाहिए. अगर आप इस रुद्राष्टकम का सच्चे ह्रदय से जाप करतें हैं. तो आपको इसका शुभ फल अवस्य मिलेगा.
- रुद्राष्टकम का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है. परन्तु सोमवार के दिन इसका पाठ अत्यंत शुभ फलदायक होता है.
- प्रातः काल और संध्याकाल का समय रुद्राष्टकम के पाठ के लिए उत्तम होता है.
- महादेव की मूर्ती या तस्वीर के समीप बैठकर रुद्राष्टकम का जाप किया जा सकता है.
- किसी शिव मंदिर में जाकर अगर रुद्राष्टकम का जाप किया जाए तो शिव की अनुपम कृपा प्राप्त होती है.
- विशेषकर सावन के महीने में इसका जाप अत्यंत ही शुभ होता है.
- पहले स्नान आदि करके खुद को पवित्र कर लें.
- उसके पश्चात किसी पवित्र आसन पर बैठ कर रुद्राष्टकम का पाठ करें.
- महादेव को गंगाजल अति प्रिय है. इसलिए शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाये.
- बिल्वपत्र चढ़ाये.
- उसके पश्चात महादेव की आरती करें.
वैसे एक बात मैं आप सभी शिव भक्तों से कहना चाहता हूँ. की महादेव शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी भी मन्त्र की आवश्यकता नहीं है. आप अगर अपने ह्रदय में शिव को बसायें हैं. शिव जी की प्रति अगर आपके मन में अगाध श्रद्धा और बिस्वास है. तो शिव जी की कृपा आप पर अवस्य रहेगी.
आप सिर्फ ॐ नमः शिवाय. का जाप करें इससे बढ़कर कोई और शिव मन्त्र नहीं है.
नहीं तो आप सिर्फ शिव शिव का भी जाप कर सकतें हैं. मेरे इस पोस्ट का मकसद महादेव के रुद्राष्टकम | Rudrashtakam मन्त्र को आप सभी के सामने प्रस्तुत करना था. आप अगर इस मन्त्र का जाप करना चाहे तो अवस्य करें. यह मन्त्र काफी शक्तिशाली है. इसका हमेशा शुभ प्रभाव ही पड़ता है.
Benefits of Rudrashtakam
- रुद्राष्टकम के पाठ से मनुष्य को शिव जी की परम कृपा प्राप्त होती है.
- इस मंत्र के जाप से मनुष्य के समस्त पापो का नाश होता है.
- महादेव के इस रुद्राष्टकम | Rudrashtakam का जाप करने से समस्त दुखो से मुक्ति मिलती है.
- रुद्राष्टकम का जाप करने से मनुष्य को मृत्यु उपरान्त शिव धाम में जगह मिलती है.
- शिव जी की कृपा से मनुष्य के समस्त मनोकामना पूर्ण होती है.
- जीवन में सफलता मिलती है.
- मनुष्य के जीवन में सुखों का वास होता है.
- जीवन में सकारात्मकता आती है.
Rudrashtakam pdf download
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रुद्राष्टकम को डाउनलोड करने के लिए निचे पीडीऍफ़ डाउनलोड बटन पर क्लिक करें. आप रुद्राष्टकम को प्रिंट भी कर सकतें हैं.
आप अगर कोई सुझाव देना चाहतें हैं तो निचे कमेंट बॉक्स में लिखें.
महादेव शिव पर अगाध श्रद्धा और भक्ति रखें. अगर आप कोई शिव मन्त्र नहीं जानतें हैं तो सिर्फ ॐ नमः शिवाय का जाप करें. शिव शिव का भी जाप करें. शिव को अपने ह्रदय में बसायें. महादेव शिव जरुर आपकी शुभ मनोकामना पूर्ण करेंगे.
जय महादेव, ॐ नमः शिवाय. हर हर महादेव. बोल बम.
भगवान शंकर की आरती / Shankar Bhagwan ki aarti
शिवताण्डवस्तोत्रम् | Shiv Tandav Stotram
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