Shiv Tandav Stotram Lyrics | शिवताण्डवस्तोत्रम् रावण द्वारा रचित महादेव शिव का एक महामन्त्र है. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार शिवताण्डवस्तोत्रम् के पाठ से मनुष्य को महादेव शिव की कृपा प्राप्त होती है.
जैसा की आप सब लोगों को पता है की रावण महादेव शिव का एक सच्चा भक्त था. उसकी राक्षस प्रवृति के कारण उसका श्री राम ने अंत किया था. उसके द्वारा रचित शिवताण्डवस्तोत्रम् आज भी अजर अमर है.
महादेव शिव की कृपा प्राप्ति के लिए आप भी शिवताण्डवस्तोत्रम् का पाठ कर सकतें हैं.
इस पोस्ट में आप लोगों को शिवताण्डवस्तोत्रम् हिंदी और इंग्लिश में अर्थ के साथ मिलेगी. आप इसे डाउनलोड भी कर सकतें हैं. डाउनलोड लिंक निचे दिया गया है.
Shiv Tandav Stotram Lyrics
निचे शिवताण्डवस्तोत्रम् रावण द्वारा रचित ( Shiv Tandav Stotram by Ravana ) दी जा रही है.
Shiv Tandav Stotram By Ravana
श्री गणेशाय नमः
शिवताण्डवस्तोत्रम्
जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले,
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् |
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं,
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् || 1 ||
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी,
विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि |
धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके
किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम || 2 ||
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस्
फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे |
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि
क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि || 3 ||
लता भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा
कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे |
मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे
दुरे मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि || 4 ||
सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर
प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः |
भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः || 5 ||
ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् |
सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः || 6 ||
कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके |
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक
प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम || 7 ||
नवीन मेघ मण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्-
कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः |
निलिम्प निर्झरी धरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः
कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ||8 ||
प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिम
प्रभा- वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् |
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छि दांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे || 9 ||
अखर्व सर्व मङ्गला कला कदंब मञ्जरी
रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् |
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे || 10 ||
जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस – द्विनिर्ग
मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः || 11 ||
स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- –
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे ||12 ||
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् || 13 ||
इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् |
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् || 14 ||
पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं
यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग
युक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः || 15 ||
इति श्रीरावण- कृतम् शिव- ताण्डव- स्तोत्रम् सम्पूर्णम्
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Shiv Tandav Stotram Lyrics in English
Jatatavigalajjala pravahapavitasthale
Galeavalambya lambitam bhujangatungamalikam
Damad damad damaddama ninadavadamarvayam
Chakara chandtandavam tanotu nah shivah shivam ||1||
Jata kata hasambhrama bhramanilimpanirjhari
Vilolavichivalarai virajamanamurdhani
Dhagadhagadhagajjva lalalata pattapavake
Kishora chandrashekhare ratih pratikshanam mama ||2||
Dharadharendrana ndinivilasabandhubandhura
Sphuradigantasantati pramodamanamanase
Krupakatakshadhorani nirudhadurdharapadi
Kvachidigambare manovinodametuvastuni ||3||
Jata bhujan gapingala sphuratphanamaniprabha
Kadambakunkuma dravapralipta digvadhumukhe
Madandha sindhu rasphuratvagutariyamedure
Mano vinodamadbhutam bibhartu bhutabhartari ||4||
Sahasra lochana prabhritya sheshalekhashekhara
Prasuna dhulidhorani vidhusaranghripithabhuh
Bhujangaraja malaya nibaddhajatajutaka
Shriyai chiraya jayatam chakora bandhushekharah ||5||
Lalata chatvarajvaladhanajnjayasphulingabha
Nipitapajnchasayakam namannilimpanayakam
Sudha mayukha lekhaya virajamanashekharam
Maha kapali sampade shirojatalamastu nah ||6||
Karala bhala pattikadhagaddhagaddhagajjvala
Ddhanajnjaya hutikruta prachandapajnchasayake
Dharadharendra nandini kuchagrachitrapatraka
Prakalpanaikashilpini trilochane ratirmama ||7||
Navina megha mandali niruddhadurdharasphurat
Kuhu nishithinitamah prabandhabaddhakandharah
Nilimpanirjhari dharastanotu krutti sindhurah
Kalanidhanabandhurah shriyam jagaddhurandharah ||8||
Praphulla nila pankaja prapajnchakalimchatha
Vdambi kanthakandali raruchi prabaddhakandharam
Smarachchidam purachchhidam bhavachchidam makhachchidam
Gajachchidandhakachidam tamamtakachchidam bhaje ||9||
Akharvagarvasarvamangala kalakadambamajnjari
Rasapravaha madhuri vijrumbhana madhuvratam
Smarantakam purantakam bhavantakam makhantakam
Gajantakandhakantakam tamantakantakam bhaje ||10||
Jayatvadabhravibhrama bhramadbhujangamasafur
Dhigdhigdhi nirgamatkarala bhaal havyavat
Dhimiddhimiddhimidhva nanmrudangatungamangala
Dhvanikramapravartita prachanda tandavah shivah ||11||
Drushadvichitratalpayor bhujanga mauktikasrajor
Garishtharatnaloshthayoh suhrudvipakshapakshayoh
Trushnaravindachakshushoh prajamahimahendrayoh
Sama pravartayanmanah kada sadashivam bhaje ||12||
Kada nilimpanirjhari nikujnjakotare vasanh
Vimuktadurmatih sada shirah sthamajnjalim vahanh
Vimuktalolalochano lalamabhalalagnakah
Shiveti mantramuchcharan sada sukhi bhavamyaham ||13||
Imam hi nityameva muktamuttamottamam stavam
Pathansmaran bruvannaro vishuddhimeti santatam
Hare gurau subhaktimashu yati nanyatha gatim
Vimohanam hi dehinam sushankarasya chintanam ||14||
Puja vasanasamaye dashavaktragitam
Yah shambhupujanaparam pathati pradoshhe
Tasya sthiram rathagajendraturangayuktam
Lakshmim sadaiva sumukhim pradadati shambhuh ||15||
Shiv Tandav Stotram Meaning
जिन शिव जी की सघन, वनरूपी जटा से प्रवाहित हो गंगा जी की धाराएं उनके कंठ को प्रक्षालित करती हैं,जिनके गले में बडे एवं लम्बे सर्पों की मालाएं लटक रहीं हैं, तथाजो शिव जी डम-डम डमरू बजा कर प्रचण्ड ताण्डव करते हैं,वे शिवजी हमारा कल्याण करें || 1 ||
जिन शिव जी के जटाओं में अतिवेग से विलास पुर्वक भ्रमण कर रही देवी गंगा की लहरे उनके शिश पर लहरा रहीं हैं,जिनके मस्तक पर अग्नि की प्रचण्ड ज्वालायें धधक-धधक करके प्रज्वलित हो रहीं हैं,उन बाल चंद्रमा से विभूषित शिवजी में मेरा अनुराग (भक्ति) प्रतिक्षण बढता रहे. || 2 ||
जो पर्वतराजसुता (पार्वतीजी) के विलासमय रमणिय कटाक्षों में परम आनन्दित चित्त रहते हैं,जिनके मस्तक में सम्पूर्ण सृष्टि एवं प्राणीगण वास करते हैं, तथाजिनके कृपादृष्टि मात्र से भक्तों की समस्त विपत्तियां दूर हो जाती हैं,ऐसे दिगम्बर (आकाश को वस्त्र सामान धारण करने वाले) शिवजी की आराधना से मेरा चित्त सर्वदा आन्दित रहे. || 3 ||
जिनके जटाओं में लिपटे सर्पों के फण की मणियों के प्रकाश पीले वर्ण प्रभा-समुहरूप केसर के कातिं से दिशाओं को प्रकाशित करते हैं औरजो गजचर्म से विभुषित हैं मैं उन शिवजी की भक्ति में आन्दित रहूँ जो सभी प्राणियों की के आधार एवं रक्षक हैं. || 4 ||
जिन शिव जी का चरण इन्द्र-विष्णु आदि देवताओं के मस्तक के पुष्पों के धूल से रंजित हैं (जिन्हे देवतागण अपने सर के पुष्प अर्पन करते हैं),जिनकी जटा पर लाल सर्प विराजमान है,वो चन्द्रशेखर हमें चिरकाल के लिए सम्पदा दें. || 5 ||
जिन शिव जी ने इन्द्रादि देवताओं का गर्व दहन करते हुए, कामदेव को अपने विशाल मस्तक की अग्नि ज्वाला से भस्म कर दिया, तथाजो सभि देवों द्वारा पुज्य हैं, तथाचन्द्रमा और गंगा द्वारा सुशोभित हैं,वे मुझे सिद्दी प्रदान करें. || 6 ||
जिनके मस्तक से धक-धक करती प्रचण्ड ज्वाला ने कामदेव को भस्म कर दिया तथाजो शिव प्रकृति पर चित्रकारी करने में अति चतुर है,उन शिव जी में मेरी प्रीति अटल हो. || 7 ||
जिनका कण्ठ नवीन मेंघों की घटाओं से परिपूर्ण आमवस्या की रात्रि के सामान काला है,जो कि गज-चर्म, गंगा एवं बाल-चन्द्र द्वारा शोभायमान हैं तथाजो कि जगत का बोझ धारण करने वाले हैं,वे शिव जी हमे सभी प्रकार की सम्पनता प्रदान करें. || 8 ||
Shiv Tandav Stotram in Hindi
जिनका कण्ठ और कन्धा पूर्ण खिले हुए नीलकमल की फैली हुई सुन्दर श्याम प्रभा से विभुषित है,जो कामदेव और त्रिपुरासुर के विनाशक,संसार के दु:खो को काटने वाले,दक्षयज्ञ विनाशक,गजासुर एवं अन्धकासुर के संहारक हैं तथा जो मृत्यू को वश में करने वाले हैं,मैं उन शिव जी को भजता हूँ. || 9 ||
जो कल्यानमय, अविनाशि, समस्त कलाओं के रस का अस्वादन करने वाले हैं,जो कामदेव को भस्म करने वाले हैं, त्रिपुरासुर, गजासुर, अन्धकासुर के सहांरक, दक्षयज्ञविध्वसंक तथा स्वयं यमराज के लिए भी यमस्वरूप हैं, मैं उन शिव जी को भजता हूँ. || 10 ||
अत्यंत वेग से भ्रमण कर रहे सर्पों के फूफकार से क्रमश: ललाट में बढी हूई प्रचंडअग्नि के मध्यमृदंग की मंगलकारी उच्च धिम-धिम की ध्वनि के साथ ताण्डव नृत्य में लीन शिव जी सर्व प्रकार सुशोभित हो रहे हैं. || 11 ||
कठोर पत्थर एवं कोमल शय्या, सर्प एवं मोतियों की मालाओं, बहुमूल्य रत्न एवं मिट्टी के टूकडों, शत्रू एवं मित्रों, राजाओं तथा प्रजाओं, तिनकों तथा कमलों पर समान दृष्टि रखने वाले शिव को मैं भजता हूँ. || 12 ||
कब मैं गंगा जी के कछारगुञ में निवास करता हुआ, निष्कपट हो, सिर पर अंजली धारण कर चंचल नेत्रों तथा ललाट वाले शिव जी का मंत्रोच्चार करते हुए अक्षय सुख को प्राप्त करूंगा. || 13 ||
इस उत्त्मोत्त्म शिव ताण्डव स्त्रोत को नित्य पढने या श्रवण करने मात्र से प्राणि पवित्र हो जाता है, और परंगुरू शिव में स्थापित हो जाता है तथा सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त हो जाता है. || 14 ||
प्रात: शिवपुजन के अंत में इस रावणकृत शिवताण्डवस्तोत्र के गान से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं तथा भक्त रथ, गज, घोडा आदि सम्पदा से सर्वदा युक्त रहता है. || 15 ||
शिवताण्डवस्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?
महादेव शिव के महामंत्र शिवताण्डवस्तोत्रम् ( Shiv Tandav Stotram Lyrics ) का पाठ करना परम शुभ फलदायक होता है. इस मन्त्र की रचना रावण ने की थी. इस महा मन्त्र का जाप किस तरह से करना है इसकी जानकारी निचे दी जा रही है.
- शिवताण्डवस्तोत्रम् ( Shiv Tandav Stotram Lyrics ) का पाठ आप किसी भी दिन कर सकतें हैं.
- सोमवार को महादेव शिव का दिन माना गया है. इसलिए सोमवार को शिवताण्डवस्तोत्रम् का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है.
- प्रातःकाल और संध्याकाल का समय शिवताण्डवस्तोत्रम् के जाप के लिए शुभ होता है.
- शिवताण्डवस्तोत्रम् ( Shiv Tandav Stotram Lyrics ) के पाठ से पहले महादेव शिव के शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए.
- उसके पश्चात ही शिवताण्डवस्तोत्रम् ( Shiv Tandav Stotram Lyrics ) का पाठ करना चाहिए.
- महादेव के शिवलिंग के पूजन में शिव लिंग पर गंगा जल चढ़ाएं.
- बिल्वपत्र चढ़ाएं.
- पुष्प और पुष्प माला चढ़ाएं.
- महादेव को धतुरा का पुष्प अवस्य चढ़ाएं. यह महादेव को अत्यंत प्रिय है.
- अक्षत आदि चढ़ाएं.
- सिंदूर और रोली चढ़ाएं.
- दूध से भी आप महादेव के शिवलिंग का अभिषेक कर सकतें हैं.
- ॐ नमः शिवाय का जाप हमेशा करते रहें.
- आप किसी पंडित से भी परामर्श कर सकतें हैं.
- उसके पश्चात शिवताण्डवस्तोत्रम् का पाठ करें.
- उसके पश्चात शिव जी की आरती करें.
शिवताण्डवस्तोत्रम् पाठ से लाभ
महादेव शिव का महामंत्र शिवताण्डवस्तोत्रम् ( Shiv Tandav Stotram Lyrics ) अत्यंत ही शक्तिशाली मन्त्र है. इस मन्त्र की रचना रावण ने की थी. और आप सब लोगों को पता है की रावण महादेव शिव का बहुत ही बड़ा भक्त था.
शिवताण्डवस्तोत्रम् ( Shiv Tandav Stotram Lyrics ) के जाप से भक्त को महादेव शिव की कृपा प्राप्ति होती है. महादेव की कृपा से मनुष्य को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
जीवन में खुशियाँ आती है. धन सम्पति में बृद्धि होती है. जीवन में सुख का निवास होता है.
लक्ष्मी का वास होता है. चारों ओर सकारात्मकता प्रवाहित होती है.
इस मन्त्र से बहुत सारे लाभ हैं. परन्तु मैं आप सब लोगों को बता दूँ की इस मन्त्र का जाप से तभी आपको कोई लाभ प्राप्ति होगी. जब आप महादेव शिव में अगाध श्रद्धा रखेंगे. समस्त तरह के बुरे कर्मो से दूर रहेंगे.
सदा अच्छे कर्म करेंगे. मन में किसी तरह के विकार को आने नहीं देंगे. तभी आपको महादेव शिव की कृपा प्राप्ति होगी.
शिवताण्डवस्तोत्रम् डाउनलोड
Shiv Tandav Stotram Lyrics Download
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नोट : अंत में मैं एक बात आप सब शिव भक्तों से कहना चाहता हूँ. की वैसे तो सभी मन्त्रों का अपना एक महत्व है. ये मन्त्र काफी शक्तिशाली मन्त्र हैं. इनके जाप से अत्यंत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है.
परन्तु एक बात जो मैं कहना चाहता हूँ की देवों के देव महादेव शिव की भक्ति और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए किसी भी मन्त्र और पूजा विधि की आवश्यकता नहीं है. अगर आप ने अपने ह्रदय में महादेव शिव को वसा लिया है तो.
अगर आपके ह्रदय में महादेव शिव के प्रति अगाध प्रेम और श्रद्धा है तो आपको महादेव शिव की कृपा अवस्य प्राप्त होगी. आप चाहें कोई मंत्र का जाप करें या ना करें. आप शिव की पूजा करें या ना करें. अगर आप दिल से महादेव की पूजा करते हैं. तो महादेव शिव आप से अवस्य प्रसन्न होंगे और आपकी समस्त शुभ मनोकामना को अवस्य पूर्ण करेंगे.
महादेव शिव पर अगाध श्रद्धा और बिस्वास रखें. हमेशा सही कर्म करें. गलत कर्मों से दूर रहें. मन में किसी भी तरह के विकार आने नहीं दें. तो आपको अवस्य शिव जी की कृपा प्राप्ति होती.
जैसा की मैं पहले भी कहते आया हूँ की ॐ नमः शिवाय से बड़ा कोई शिव मंत्र नहीं है. इसलिय हो सकते तो ॐ नमः शिवाय का जाप करें. अन्यथा आप शिव शिव का भी जाप कर सकतें हैं. इससे आपका मन विकारों से दूर रहेगा.
अगर आप कोई सुझाव देना चाहते हैं तो निचे कमेंट बॉक्स में लिखें.
भगवान महादेव शिव आप सभी भक्तों की समस्त शुभ मनोकामना पूर्ण करें.
हर हर महादेव. ॐ नमः शिवाय. बोल-बम .
शिव जी समबन्धित हमारे इन प्रकाशनों को भी अवस्य पढ़ें.
भगवान शंकर की आरती / Shankar Bhagwan ki aarti