Chandra Dev Ki Aarti : चन्द्र देव की आरती : Chandrama Ki Aarti

Chandra Dev Ki Aarti : चन्द्र देव की आरती : Chandrama Ki Aarti : चन्द्र देव की आरती करना बहुत ही शुभ फलदायक होता है. चन्द्र देव की कृपा से रोगों और मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है.

मानसिक एकाग्रता के लिए चन्द्र देव जी की आराधना और स्तुति करना अत्यंत ही फलदायक होता है.विद्धार्थियों के लिए चन्द्र देव की आराधना करना अत्यंत ही फलदायक होता है.

Chandra Dev Ki Aarti : चन्द्र देव की आरती : Chandrama Ki Aarti

Chandrama Ki Aarti

|| चन्द्र देव जी की आरती ||

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।

रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी ।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि ।

योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा ।

वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी ।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी ।

शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी ।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे ।

विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी ।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें ।

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।

इसे भी देखें : Chandra Gayatri Mantra – चन्द्र गायत्री मंत्र

चन्द्र देव की आरती : ॐ जय श्रीचन्द्र यती

Om Jai Shri Chandra Yati Aarti

ॐ जय श्रीचन्द्र यती, स्वामी जय श्रीचन्द्र यती |
अजर अमर अविनाशी योगी योगपती |

सन्तन पथ प्रदर्शक भगतन सुखदाता,
अगम निगम प्रचारक कलिमहि भवत्राता |

कर्ण कुण्डल कर तुम्बा गलसेली साजे,
कंबलिया के साहिब चहुँ दीश के राजे |

अचल अडोल समाधि पद्मासन सोहे
बालयती बनवासी देखत जग मोहे |

कटि कौपीन तन भस्मी जटा मुकुट धारी,
धर्म हत जग प्रगटे शंकर त्रिपुरारी |

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बाल छबी अति सुन्दर निशदिन मुस्काते,
भृकुटी विशाल सुलोचन निजानन्दराते |

उदासीन आचार्य करूणा कर देवा,
प्रेम भगती वर दीजे और सन्तन सेवा |

मायातीत गुसाई तपसी निष्कामी,
पुरुशोत्तम परमात्म तुम हमारे स्वामी |

ऋषि मुनि ब्रह्मा ज्ञानी गुण गावत तेरे,
तुम शरणगत रक्षक तुम ठाकुर मेरे |
जो जन तुमको ध्यावे पावे परमगती,

श्रद्धानन्द को दीजे भगती बिमल मती |
अजर अमर अविनाशी योगी योगपती |

ॐ जय श्रीचन्द्र यती, स्वामी जय श्रीचन्द्र यती |

Chandra Dev Ki Aarti : जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा

जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा |
आरती ओंवाळू पदिं ठेवुनि माथा || धृ.||

उदयीं तुझ्या हृदयीं शीतळता उपजे |
हेलावुनि क्षीराब्धी आनंदे गर्जे |
विकसित कुमुदिनी देखुनि मनही बहु रंजे |
चकोर नृत्य करिती अदभुत सुख माजे ||
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..

विशेष महिमा तुझा न कळे कोणासी |
त्रिभुवनिं द्वादशीराशी व्यापुनि राहसी |
नवही ग्रहांमध्यें उत्तम आहेसी |
तुझे बळ वांछीती सकळहि कार्यासी ||
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..

शंकरगणनाथादिक भूषण मिरवीती |
भाळी मौळी तुजला संतोषे धरिती |
संकटनामचतुर्थीस रूपजन जे करिती |
संतत्ती संपत्ति अंती भवसागर तरती ||
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..

केवळ अमृतरूप अनुपम्य वळ्सी |
स्थावर जंगम यांचें जीवन आहेसी |
प्रकाश अवलोकितां मन हे उल्हासी |
प्रसन्न होउनि आतां लावी निजकांसी ||
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..

सिंधूतनया बिंदू इंदू श्रीयेचा |
सुकर्तिदायक नायक उड्डगण यांचा |
कुरंगवाहन चंद्र अनुचित हे वाचा |
गोसावीसुत विनवी वर दे मज साचा ||
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..

Chandra Dev Ki Aarti Lyrics English Fonts

Om Jai Som Deva, Swami Jai Som Deva.
Dukh Harta Sukh Karta, Jai Aanandkari.

Rajat Sinhasan Rajat, Jyoti Teri Nyari.
Din Dayal Dayanidhi, Bhav bandhan Haari.

Jo Koi Aarti Teri, Prem Sahit Gawe.
Sakal Manorath Daayak, Nirgun Sukhrashi.

Yogijan Hriday Me, Tera Dhyan Dhare.
Brahma Vishnu Sadashiv, Sant Kare Seva.

Ved Puran Bakhanat, Bhay Patak Hari.
Prem Bhav Se Puje, Sab Jag Ke Nari.

Sharnagat Pratipalak, Bhaktan Hitkari.
Dhan Sampati Aur Vaibhav, Sahje So Pave.

Vishwa Charachar Paalak, IShvar Avinashi.
Sab Jag Ke Nar Nari, Puja Paath Karen.

Om Jai Som Deva, Swami Jai Som Deva.
Dukh Harta Sukh Karta, Jai Aanandkari.

Om Jai Shri Chandra Yati Aarti

Om Jai Shri Chandra Yati, Swami Jai Shri Chandra Yati.
Ajar Amar Avinashi Yogi Yogpati.

Santan Path Pradarshak Bhagtan Sukhdata,
Agam Nigam Pracharak kalimahi Bhavtrata.

Karn Kundal Kar Tumba Galseli Saje,
Kambalia Ke Sahib Chanhu Dish Ke Raje.

Achal Adol Samadhi Padmasan Sohe.
Balyati Banvashi Dekhat Jag Mohe.

Kati Koupin Tan Bhashmi Jata Mukut Dhari,
Dharm Hat Jag Pragate Shankar Tripurari.

Bal Chhabi Ati Sundar Nishdin Muskate,
Bhrikuti Vishal Sulochan Nijanandrate.

Udasin Aacharya Karuna Kar Deva,
Prem Bhagati Var Dije Aur Santan Seva.

Mayatit Gusai Tapasi Nishkami,
Purushotam Parmatm Tum Hamare Swami.

Rishi Muni Brahma Gyani gun gaavat Tere,
Tum Sharangat rakshak Tum Thakur Mere.
Jo Jan Tumko Dhyawe Pave Param Gati.

Shraddhanand Ko Dije Bhagati Bimal Mati.
Ajar Amar Avinashi Yogi Yogpati.

Om Jai Shri Chandra Yati, Swami Jai Shri Chandra Yati.

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