Tulsi Mata Chalisa तुलसी माता चालीसा

तुलसी माता की आराधना और स्तुति के लिए Tulsi Mata Chalisa तुलसी माता चालीसा का पाठ अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होता है.

आज के इस पोस्ट में हम धन्य धन्य श्री तलसी माता चालीसा प्रकाशित कर रहें हैं. तुलसी माता की एक और चालीसा तुलसी महारानी नमो नमो हमने पहले ही इस साईट पर प्रकाशित किया हुआ है. आप निचे दिए गए बटन को दबाकर उस चालीसा को देख सकतें हैं.

Tulsi Mata Chalisa तुलसी माता चालीसा

Tulsi Mata Chalisa

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Tulsi Mata Chalisa
Tulsi Mata Chalisa

|| तुलसी माता चालीसा ||

॥ दोहा ॥

जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी ।
नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥

श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब ।
जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ॥

॥ चौपाई ॥

धन्य धन्य श्री तलसी माता ।
महिमा अगम सदा श्रुति गाता ॥

हरि के प्राणहु से तुम प्यारी ।
हरिही हेतु कीन्हो तप भारी ॥

जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो ।
तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो ॥

हे भगवन्त कन्त मम होहू ।
दीन जानी जनि छाडाहू छोहु ॥

सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी ।
दीन्हो श्राप कध पर आनी ॥

उस अयोग्य वर मांगन हारी ।
होहू विटप तुम जड़ तनु धारी ॥

सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा ।
करहु वास तुहू नीचन धामा ॥

दियो वचन हरि तब तत्काला ।
सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला ॥

समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा ।
पुजिहौ आस वचन सत मोरा ॥

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तब गोकुल मह गोप सुदामा ।
तासु भई तुलसी तू बामा ॥

कृष्ण रास लीला के माही ।
राधे शक्यो प्रेम लखी नाही ॥

दियो श्राप तुलसिह तत्काला ।
नर लोकही तुम जन्महु बाला ॥

यो गोप वह दानव राजा ।
शङ्ख चुड नामक शिर ताजा ॥

तुलसी भई तासु की नारी ।
परम सती गुण रूप अगारी ॥

अस द्वै कल्प बीत जब गयऊ ।
कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ ॥

वृन्दा नाम भयो तुलसी को ।
असुर जलन्धर नाम पति को ॥

करि अति द्वन्द अतुल बलधामा ।
लीन्हा शंकर से संग्राम ॥

जब निज सैन्य सहित शिव हारे ।
मरही न तब हर हरिही पुकारे ॥

पतिव्रता वृन्दा थी नारी ।
कोऊ न सके पतिहि संहारी ॥

तब जलन्धर ही भेष बनाई ।
वृन्दा ढिग हरि पहुच्यो जाई ॥

शिव हित लही करि कपट प्रसंगा ।
कियो सतीत्व धर्म तोही भंगा ॥

भयो जलन्धर कर संहारा ।
सुनी उर शोक उपारा ॥

तिही क्षण दियो कपट हरि टारी ।
लखी वृन्दा दुःख गिरा उचारी ॥

जलन्धर जस हत्यो अभीता ।
सोई रावन तस हरिही सीता ॥

अस प्रस्तर सम ह्रदय तुम्हारा ।
धर्म खण्डी मम पतिहि संहारा ॥

यही कारण लही श्राप हमारा ।
होवे तनु पाषाण तुम्हारा ॥

सुनी हरि तुरतहि वचन उचारे ।
दियो श्राप बिना विचारे ॥

लख्यो न निज करतूती पति को ।
छलन चह्यो जब पारवती को ॥

जड़मति तुहु अस हो जड़रूपा ।
जग मह तुलसी विटप अनूपा ॥

धग्व रूप हम शालिग्रामा ।
नदी गण्डकी बीच ललामा ॥

जो तुलसी दल हमही चढ़ इहैं ।
सब सुख भोगी परम पद पईहै ॥

बिनु तुलसी हरि जलत शरीरा ।
अतिशय उठत शीश उर पीरा ॥

जो तुलसी दल हरि शिर धारत ।
सो सहस्त्र घट अमृत डारत ॥

तुलसी हरि मन रञ्जनी हारी ।
रोग दोष दुःख भंजनी हारी ॥

प्रेम सहित हरि भजन निरन्तर ।
तुलसी राधा में नाही अन्तर ॥

व्यन्जन हो छप्पनहु प्रकारा ।
बिनु तुलसी दल न हरीहि प्यारा ॥

सकल तीर्थ तुलसी तरु छाही ।
लहत मुक्ति जन संशय नाही ॥

कवि सुन्दर इक हरि गुण गावत ।
तुलसिहि निकट सहसगुण पावत ॥

बसत निकट दुर्बासा धामा ।
जो प्रयास ते पूर्व ललामा ॥

पाठ करहि जो नित नर नारी ।
होही सुख भाषहि त्रिपुरारी ॥

॥ दोहा ॥

तुलसी चालीसा पढ़ही तुलसी तरु ग्रह धारी ।
दीपदान करि पुत्र फल पावही बन्ध्यहु नारी ॥

सकल दुःख दरिद्र हरि हार ह्वै परम प्रसन्न ।
आशिय धन जन लड़हि ग्रह बसही पूर्णा अत्र ॥

लाही अभिमत फल जगत मह लाही पूर्ण सब काम ।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह सहस बसही हरीराम ॥

तुलसी महिमा नाम लख तुलसी सूत सुखराम ।
मानस चालीस रच्यो जग महं तुलसीदास ॥

तुलसी माता की स्तुति करें : Tulsi Aarti तुलसी आरती के माध्यम से

Tulsi Chalisa Lyrics

Tulsi Mata Chalisa
|| Tulsi Mata Chalisa ||

|| Tulsi Mata Chalisa ||

॥ Doha ॥

Jai Jai Tulsi Bhagavati Satyavati Sukhdani ।
Namo Namo Hari Preyasi Shri Vrinda Gun Khani ॥

Shri Hari Shish Birajini, Dehu Amar Var Amb ।
Janhit He Vrindavani Ab Na Karahu Vilamb ॥

॥ Chaupai ॥

Dhanya Dhanya Shri Tulsi Mata ।
Mahima Agam Sada Shruti Gata ॥

Hari Ke Pranahu Se Tum Pyari ।
Harihi Hetu Kinho Tap Bhaari ॥

Jab Prasann Hai Darshan Dinhyo ।
Tab Kar Jori Vinay Us Kinhyo ॥

He Bhagvant Kant Mam Hohu ।
Deen Jaani Jani Chhadahu Chhohu ॥

Suni Lakshmi Tulsi Ki Baani ।
Dinho Shrap Kadh Par Aani ॥

Us Ayogya Var Maangan Haari ।
Hohu Vitap Tum Jad Tanu Dhaari ॥

Suni Tulsihi Shrapyo Tehim Thama ।
Karhu Vaas Tuhu Neechan Dhama ॥

Diyo Vachan Hari Tab Tatkala ।
Sunahu Sumukhi Jani Hohu Bihala ॥

Samay Paai Vhau Rau Paati Tora ।
Pujihau Aas Vachan Sat Mora ॥

Tab Gokul Mah Gop Sudama ।
Taasu Bhai Tulsi Tu Bama ॥

Krishna Raas Leela Ke Mahi ।
Radhe Shakyo Prem Lakhi Naahi ॥

Diyo Shrap Tulsih Tatkala ।
Nar Lokahi Tum Janmahu Baala ॥

Yo Gop Vah Danav Raja ।
Shankh Chur Naamak Shir Taja ॥

Tulsi Bhai Tasu ki Naari ।
Param Sati Gun Roop Agari ॥

As Dvai Kalp Bit Jab Gayaoo ।
Kalp Tritiya Janm Tab Bhayaoo ॥

Vrinda Naam Bhayo Tulsi Ko ।
Asur Jalandhar Naam Pati Ko ॥

Kari Ati Dvand Atul Baldhama ।
Linha Shankar Se Sangram ॥

Ab Nij Sainy Sahit Shiv Haare ।
Marahi Na Tab Har Harihi Pukare ॥

Pativrata Vrinda Thi Naari ।
Kou Na Sake Patihi Sanhari ॥

Tab Jalandhar Hi Bhesh Banai ।
Vrinda Dhig Hari Pahuchyo Jaai ॥

Shiv Hit Lahi Kari Kapat Prasanga ।
Kiyo Satitva Dharm Tohi Bhanga ॥

Bhayo Jalandhar Kar Sanhara ।
Suni Ur Shok Upara ॥

Tihi Kshan Diyo Kapat Hari Taari ।
Lakhi Vrinda Dukh Gira Uchari ॥

Jalandhar Jas Hatyo Abhita ।
Soi Ravan Tas Harihi Sita ॥

As Prastar Sam Hriday Tumhara ।
Dharm Khandi Mam Patihi Sanhara ॥

Yahi Kaaran Lahi Shrap Hamara ।
Hove Tanu Pashan Tumhara ॥

Suni Hari Turatahi Vachan Uchare ।
Diyo Shrap Bina Vichare ॥

Lakhyo Na Nij Kartuti Pati Ko ।
Chhalan Chahyo Jab Parvati Ko ॥

Jadmati Tuhu As Ho Jadroopa ।
Jag Mah Tulsi Vitap Anupa ॥

Dhagv Roop Ham Shaligrama ।
Nadi Gandaki Bich Lalaama ॥

Jo Tulsi Dal Hamhi Chadh Ihai ।
Sab Sukh Bhogi Param Pad Paihai ॥

Binu Tulsi Hari Jalat Sharira ।
Atishay Uthat Shish Ur Peera ॥

Jo Tulsi Dal Hari Shish Dhaarat ।
So Sahastra Ghat Amrit Daarat ॥

Tulsi Hari Man Ranjani Haari ।
Rog Dosh Dukh Bhanjani Haari ॥

Prem Sahit Hari Bhajan Nirantar ।
Tulasi Radha Me Naahi Antar ॥

Vyanjan Ho Chhappanahu Prakara ।
Binu Tulsi Dal Na Harihi Pyara ॥

Sakal Tirth Tulsi Taru Chhahi ।
Lahat Mukti Jan Sanshay Naahi ॥

Kavi Sundar Ik Hari Gun Gaavat ।
Tulsihi Nikat Sahasgun Paavat ॥

Basat Nikat Durbasa Dhama ।
Jo Prayas Te Purv Lalaama ॥

Paath Karahi Jo Nit Nar Naari ।
Hohi Sukh Bhashahi Tripurari ॥

॥ Doha ॥

Tulsi Chalisa Padhahi Tulsi Taru Grah Dhari ।
Deepdaan Kari Putra Phal Pavahi Bandhyahu Naari ॥

Sakal Dukh Daridra Hari Har Hvai Param Prasann ।
Aashiya Dhan Jan Ladahi Grah Basahi Purna Atra ॥

Laahi Abhimat Phal Jagat Mah Laahi Purna Sab Kaam ।
Jei Dal Arpahi Tulsi Tah Sahas Basahi HariRam ॥

Tulsi Mahima Naam lakh Tulsi Sut Sukhram ।
Manas Chalis Rachyo Jag Mah Tulsidas ॥

तुलसी माता की स्तुति के लिए आप Tulsi Gayatri Mantra – तुलसी गायत्री मंत्र का भी नियमित जप करें.

तुलसी चालीसा का पाठ और तुलसी माता की आराधना, स्तुति और पूजन करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है. प्रत्येक घर में तुलसी का पौधा होना ही चाहिए. तुलसी का पौधा हम सबके लिए अत्यंत ही शुभ होता है.

तुलसी माता की नियमित रूप से स्तुति करें. तुलसी माता की कृपा से मनुष्य स्वस्थ रहता है. जीवन में शांति रहती है.

तुलसी विवाह के दिन तो विशेष रूप से तुलसी चालीसा का पाठ करें.

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