Sita Mata Ki Aarti – सीता माता की आरती – जगत जननी माता सीता की आरती करने से शौभाग्य की प्राप्ति होती है.
Sita Mata Ki Aarti – सीता माता की आरती
आरती श्री जनक दुलारी की |
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की |
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की |
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की |
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
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माता सीता प्रभु श्री राम चन्द्र जी की धर्म पत्नी और संगनी, को माता लक्ष्मी का अवतार माना गया है.
वे दया की देवी हैं. जो कोई भी माता सीता की स्तुति और आराधना करता है उस पर माता सीता अवस्य कृपा करती हैं.
महिलाओं के लिए तो माता सीता अत्यंत ही पूजनीय है. जो भी स्त्री सच्चे ह्रदय से माता सीता की आरती करती है. माता सीता उसे सौभाग्यशाली होने का वरदान देती हैं. उसके जीवन में खुशियाँ भर देती हैं. माता सीता अखंड सुहाग का वर देती हैं.
माता सीता की सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ स्तुति और आराधना करें.
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