Shani Chalisa : शनि चालीसा – यहाँ पढ़े शनि चालीसा Shri Shani Chalisa in Hindi

Chanting Shani Chalisa is a very good and well known method to pleased Lord Shani. Reciting Shani Chalisa every Saturday is very important to get blessing of Lord Shani.

शनि चालीसा / Shani Chalisa भगवान् श्री शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्ति करने का सर्वोत्तम साधन है. भगवान् श्री शनि देव सूर्य पुत्र हैं. शनि देव को महादेव शिव और अन्य देवताओं द्वारा लोकपाल या फिर कहें तो दंडाधिकारी बनाया गया है.

भगवान् श्री शनि देव इस पृथ्वी के समस्त मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मो का हिसाब रखतें हैं. मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार उन्हें उनके कर्मों का फल प्रदान करतें हैं.

मनुष्य के अच्छे कर्मों का अच्छा फल प्रदान करतें हैं. उनकी सभी समस्याओं का समाधान करतें हैं. अच्छे कर्म करने वालों को सुख और शान्ति प्रदान करतें हैं.

मनुष्य के बुरे कर्मो का श्री शनि देव दण्ड देते हैं. वे मनुष्य के बुरे कर्मों के अनुसार उन्हें दण्ड देतें हैं. ताकि वे सही मार्ग पर आ जाएँ और अच्छे कर्म करें.

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शनि चालीसा हिंदी / Shani Chalisa Hindi में निचे दिया जा रहा है. आप लोग अगर हो सके तो प्रत्येक शनिवार को शनि चालीसा का पाठ करें. शनि चालीसा का पाठ करने से भगवान् श्री शनि देव की कृपा प्राप्ति होगी.

जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करें. किसी प्राणी को कष्ट नहीं पहुचाएं. सदा दुसरों की भलाई करें.

पाप कर्मो से खुद को दूर रखें . अच्छे कर्म करें जिससे आपको श्री शनि देव की कृपा प्राप्ति हो सके.

शनि देव की स्तुति के लिए Shani Dev Aarti शनि देव की आरती अवस्य करें.

Shri Shani Chalisa

|| श्री शनि चालीसा ||

॥दोहा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,

मंगल करण कृपाल ।

दीनन के दुःख दूर करि,

कीजै नाथ निहाल ॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु,

सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय,

राखहु जन की लाज ॥

॥चौपाई॥

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जयति जयति शनिदेव दयाला ।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।

माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥

परम विशाल मनोहर भाला ।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।

हिये माल मुक्तन मणि दमके ॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥

पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन ।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन ॥

सौरी, मन्द, शनि, दशनामा ।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥

जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं ।

रंकहुं राव करैं क्षण माहीं ॥

पर्वतहू तृण होई निहारत ।

तृणहू को पर्वत करि डारत ॥

राज मिलत वन रामहिं दीन्हो ।

कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो ॥

बनहूं में मृग कपट दिखाई ।

मातु जानकी गई चतुराई ॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।

मचिगा दल में हाहाकारा ॥

रावण की गति मति बौराई ।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥

दियो कीट करि कंचन लंका ।

बजि बजरंग बीर की डंका ॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।

चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥

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हार नौलाखा लाग्यो चोरी ।

हाथ पैर डरवायो तोरी ॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥

विनय राग दीपक महँ कीन्हों ।

तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों ॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।

आपहुं भरे डोम घर पानी ॥

तैसे नल पर दशा सिरानी ।

भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥

श्री शंकरहि गहयो जब जाई ।

पार्वती को सती कराई ॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा ।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।

बची द्रोपदी होति उधारी ॥

कौरव के भी गति मति मारयो ।

युद्ध महाभारत करि डारयो ॥

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला ।

लेकर कूदि परयो पाताला ॥

शेष देव-लखि विनती लाई ।

रवि को मुख ते दियो छुड़ई ॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना ।

जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना ॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।

हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै ॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा ।

गर्दभ सिंद्धकर राज समाजा ॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।

चोरी आदि होय डर भारी ॥

तैसहि चारि चरण यह नामा ।

स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा ॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै ॥

समता ताम्र रजत शुभकारी ।

स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी ॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै ।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥

अदभुत नाथ दिखावैं लीला ।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।

दीप दान दै बहु सुख पावत ॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

॥दोहा॥

पाठ शनिश्चर देव को,

की हों विमल तैयार ।

करत पाठ चालीस दिन,

हो भवसागर पार ॥

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Shani Gayatri Mantra – शनि गायत्री मंत्र

Shani Chalisa in Hindi

हे माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश, आपकी जय हो। आप कल्याणकारी है, सब पर कृपा करने वाले हैं, दीन लोगों के दुख दुर कर उन्हें खुशहाल करें भगवन। हे भगवान श्री शनिदेव जी आपकी जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना सुनें, हे रविपुत्र हम पर कृपा करें व भक्तजनों की लाज रखें।

हे दयालु शनिदेव महाराज आपकी जय हो, आप सदा भक्तों के रक्षक हैं उनके पालनहार हैं। आप श्याम वर्णीय हैं व आपकी चार भुजाएं हैं। आपके मस्तक पर रतन जड़ित मुकुट आपकी शोभा को बढा रहा है। आपका बड़ा मस्तक आकर्षक है, आपकी दृष्टि टेढी रहती है ( शनिदेव को यह वरदान प्राप्त हुआ था कि जिस पर भी उनकी दृष्टि पड़ेगी उसका अनिष्ट होगा इसलिए आप हमेशा टेढी दृष्टि से देखते हैं ताकि आपकी सीधी दृष्टि से किसी का अहित न हो)। आपकी भृकुटी भी विकराल दिखाई देती है। आपके कानों में सोने के कुंडल चमचमा रहे हैं। आपकी छाती पर मोतियों व मणियों का हार आपकी आभा को और भी बढ़ा रहा है। आपके हाथों में गदा, त्रिशूल व कुठार हैं, जिनसे आप पल भर में शत्रुओं का संहार करते हैं।

पिंगल, कृष्ण, छाया नंदन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दु:ख भंजन, सौरी, मंद, शनि ये आपके दस नाम हैं। हे सूर्यपुत्र आपको सब कार्यों की सफलता के लिए पूजा जाता है। क्योंकि जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं, कृपालु होते हैं वह क्षण भर में ही रंक से राजा बन जाता है। पहाड़ जैसी समस्या भी उसे घास के तिनके सी लगती है लेकिन जिस पर आप नाराज हो जांए तो छोटी सी समस्या भी पहाड़ बन जाती है।

हे प्रभु आपकी दशा के चलते ही तो राज के बदले भगवान श्री राम को भी वनवास मिला था। आपके प्रभाव से ही केकैयी ने ऐसा बुद्धि हीन निर्णय लिया। आपकी दशा के चलते ही वन में मायावी मृग के कपट को माता सीता पहचान न सकी और उनका हरण हुआ। उनकी सूझबूझ भी काम नहीं आयी। आपकी दशा से ही लक्ष्मण के प्राणों पर संकट आन खड़ा हुआ जिससे पूरे दल में हाहाकार मच गया था।

आपके प्रभाव से ही रावण ने भी ऐसा बुद्धिहीन कृत्य किया व प्रभु श्री राम से शत्रुता बढाई। आपकी दृष्टि के कारण बजरंग बलि हनुमान का डंका पूरे विश्व में बजा व लंका तहस-नहस हुई। आपकी नाराजगी के कारण राजा विक्रमादित्य को जंगलों में भटकना पड़ा। उनके सामने हार को मोर के चित्र ने निगल लिया व उन पर हार चुराने के आरोप लगे। इसी नौलखे हार की चोरी के आरोप में उनके हाथ पैर तुड़वा दिये गये। आपकी दशा के चलते ही विक्रमादित्य को तेली के घर कोल्हू चलाना पड़ा। लेकिन जब दीपक राग में उन्होंनें प्रार्थना की तो आप प्रसन्न हुए व फिर से उन्हें सुख समृद्धि से संपन्न कर दिया।

आपकी दशा पड़ने पर राजा हरिश्चंद्र की स्त्री तक बिक गई, स्वयं को भी डोम के घर पर पानी भरना पड़ा। उसी प्रकार राजा नल व रानी दयमंती को भी कष्ट उठाने पड़े, आपकी दशा के चलते भूनी हुई मछली तक वापस जल में कूद गई और राजा नल को भूखों मरना पड़ा। भगवान शंकर पर आपकी दशा पड़ी तो माता पार्वती को हवन कुंड में कूदकर अपनी जान देनी पड़ी। आपके कोप के कारण ही भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया।

पांडवों पर जब आपकी दशा पड़ी तो द्रौपदी वस्त्रहीन होते होते बची। आपकी दशा से कौरवों की मति भी मारी गयी जिसके परिणाम में महाभारत का युद्ध हुआ। आपकी कुदृष्टि ने तो स्वयं अपने पिता सूर्यदेव को नहीं बख्शा व उन्हें अपने मुख में लेकर आप पाताल लोक में कूद गए। देवताओं की लाख विनती के बाद आपने सूर्यदेव को अपने मुख से आजाद किया।

हे प्रभु आपके सात वाहन हैं। हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार और शेर जिस वाहन पर बैठकर आप आते हैं उसी प्रकार ज्योतिष आपके फल की गणना करता है। यदि आप हाथी पर सवार होकर आते हैं घर में लक्ष्मी आती है। यदि घोड़े पर बैठकर आते हैं तो सुख संपत्ति मिलती है। यदि गधा आपकी सवारी हो तो कई प्रकार के कार्यों में अड़चन आती है, वहीं जिसके यहां आप शेर पर सवार होकर आते हैं तो आप समाज में उसका रुतबा बढाते हैं, उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं।

वहीं सियार आपकी सवारी हो तो आपकी दशा से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है व यदि हिरण पर आप आते हैं तो शारीरिक व्याधियां लेकर आते हैं जो जानलेवा होती हैं। हे प्रभु जब भी कुत्ते की सवारी करते हुए आते हैं तो यह किसी बड़ी चोरी की और ईशारा करती है।

इसी प्रकार आपके चरण भी सोना, चांदी, तांबा व लोहा आदि चार प्रकार की धातुओं के हैं। यदि आप लौहे के चरण पर आते हैं तो यह धन, जन या संपत्ति की हानि का संकेतक है। वहीं चांदी व तांबे के चरण पर आते हैं तो यह सामान्यत शुभ होता है, लेकिन जिनके यहां भी आप सोने के चरणों में पधारते हैं, उनके लिये हर लिहाज से सुखदायक व कल्याणकारी होते है।

जो भी इस शनि चरित्र को हर रोज गाएगा उसे आपके कोप का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपकी दशा उसे नहीं सताएगी। उस पर भगवान शनिदेव महाराज अपनी अद्भुत लीला दिखाते हैं व उसके शत्रुओं को कमजोर कर देते हैं।

जो कोई भी अच्छे सुयोग्य पंडित को बुलाकार विधि व नियम अनुसार शनि ग्रह को शांत करवाता है। शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल देता है व दिया जलाता है उसे बहुत सुख मिलता है। प्रभु शनिदेव का दास रामसुंदर भी कहता है कि भगवान शनि के सुमिरन सुख की प्राप्ति होती है व अज्ञानता का अंधेरा मिटकर ज्ञान का प्रकाश होने लगता है।

भगवान शनिदेव के इस पाठ को ‘विमल’ ने तैयार किया है जो भी इस चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करता है शनिदेव की कृपा से वह भवसागर से पार हो जाता है।

Shani Chalisa Benefits

शनि चालीसा Shani Chalisa के पाठ से भगवान् श्री शनि देव प्रसन्न होतें हैं. वे अपने भक्तों को उनके शुभ कर्मों का फल अवस्य देतें हैं. उनकी कृपा से उनके भक्त सदा खुशहाल रहतें हैं.

Shani Chalisa शनि चालीसा के पाठ से महाराज श्री शनि देव अपने भक्त के ऊपर आने वाले सभी संकटों से रक्षा करतें हैं.

शनि चालीसा Shani Chalisa के पाठ से रोगों से मुक्ति मिलती है.

Shani Chalisa के पाठ से धन सम्पति में बृद्धि होती है.

शनि चालीसा Shani Chalisa के पाठ से शनि देव की कृपा प्राप्ति होती है. शनि देव की ढईया और साढ़े साती से मुक्ति मिलती है.

श्री शनि चालीसा का पाठ कैसे करें?

शनि चालीसा का पाठ हो सके तो प्रत्येक शनिवार को अवस्य करें.

शनिवार के दिन शुबह या फिर सायं काल में स्नान करके करें.

पीपल के ब्रिक्ष के जड़ में जल चढ़ाएं.

शनि देव के मंदिर भी जाकर शनि चालीसा Shani Chalisa का पाठ कर सकतें हैं.

आप घर में भी शनि चालीसा का पाठ कर सकतें हैं.

शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं.

Shri Shani Chalisa in PDF

शनि चालीसा को अगर डाउनलोड करना है तो आप निचे दिए गए बोत्तों को क्लीक करें. इससे आप हमारे शनि चालीसा पीडीऍफ़ वाले पेज पर चले जायेंगे. जहाँ से आप श्री शनि चालीसा को आसानी से डाउनलोड करके सेव कर पायेंगे.

Shani Chalisa mp3

शनि चालीसा mp3 मैं यहाँ डाउनलोड के लिए नहीं दे सकता हूँ . आप लोग गूगल पर सर्च करके डाउनलोड कर सकतें हैं.

Shani Chalisa Lyrics

Doha

jay ganesh girija suvan,

mangal karan krpaal .

deenan ke duhkh door kari,

keejai naath nihaal .

jay jay shree shanidev prabhu,

sunahu vinay mahaaraaj .

karahu krpa he ravi tanay,

raakhahu jan kee laaj . .

Chaupai

jayati jayati shanidev dayaala .

karat sada bhaktan pratipaala .

chaari bhuja, tanu shyaam viraajai .

maathe ratan mukut chhavi chhaajai .

param vishaal manohar bhaala .

tedhee drshti bhrkuti vikaraala .

kundal shravan chamaacham chamake .

hiye maal muktan mani damake .

kar mein gada trishool kuthaara .

pal bich karain arihin sanhaara .

pingal, krshnon, chhaaya, nandan .

yam, konasth, raudr, duhkh bhanjan .

sauree, mand, shani, dashanaama .

bhaanu putr poojahin sab kaama .

ja par prabhu prasann hai jaaheen .

rankahun raav karain kshan maaheen .

parvatahoo trn hoee nihaarat .

trnahoo ko parvat kari daarat .

raaj milat van raamahin deenho .

kaikeihun kee mati hari leenho .

banahoon mein mrg kapat dikhaee .

maatu jaanakee gaee chaturaee .

lakhanahin shakti vikal karidaara .

machiga dal mein haahaakaara .

raavan kee gati mati bauraee .

raamachandr son bair badhaee .

diyo keet kari kanchan lanka .

baji bajarang beer kee danka .

nrp vikram par tuhi pagu dhaara .

chitr mayoor nigali gai haara .

haar naulaakha laagyo choree .

haath pair daravaayo toree .

bhaaree dasha nikrsht dikhaayo .

telihin ghar kolhoo chalavaayo .

vinay raag deepak mahan keenhon .

tab prasann prabhu havai sukh deenhon .

harishchandr nrp naari bikaanee .

aapahun bhare dom ghar paanee .

taise nal par dasha siraanee .

bhoonjee-meen kood gaee paanee .

shree shankarahi gahayo jab jaee .

paarvatee ko satee karaee .

tanik vilokat hee kari reesa .

nabh udi gayo gaurisut seesa .

paandav par bhai dasha tumhaaree .

bachee dropadee hoti udhaaree .

kaurav ke bhee gati mati maarayo .

yuddh mahaabhaarat kari daarayo .

ravi kahan mukh mahan dhari tatkaala .

lekar koodi parayo paataala .

shesh dev-lakhi vinatee laee .

ravi ko mukh te diyo chhudee .

vaahan prabhu ke saat sujaana .

jag digj gardabh mrg svaana .

jambuk sinh aadi nakh dhaaree .

so phal jyotish kahat pukaaree .

gaj vaahan lakshmee grh aavain .

hay te sukh sampatti upajaavai .

gardabh haani karai bahu kaaja .

gardabh sinddhakar raaj samaaja .

jambuk buddhi nasht kar daarai .

mrg de kasht praan sanhaarai .

jab aavahin prabhu svaan savaaree .

choree aadi hoy dar bhaaree .

taisahi chaari charan yah naama .

svarn lauh chaanjee aru taama .

lauh charan par jab prabhu aavain .

dhan jan sampatti nasht karaavai .

samata taamr rajat shubhakaaree .

svarn sarvasukh mangal kaaree .

jo yah shani charitr nit gaavai .

kabahun na dasha nikrsht sataavai .

adabhut naath dikhaavain leela .

karain shatru ke nashi bali dheela .

jo pandit suyogy bulavaee .

vidhivat shani grah shaanti karaee .

peepal jal shani divas chadhaavat .

deep daan dai bahu sukh paavat .

kahat raam sundar prabhu daasa .

shani sumirat sukh hot prakaasha .

Doha

paath shanishchar dev ko,

kee hon vimal taiyaar .

karat paath chaalees din,

ho bhavasaagar paar .

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